अपराधों के विरूद्ध संस्कारों द्वारा ही जीता जा सकता युद्ध : हेमा अग्रवाल

awdhesh dandotia
मुरैना। निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने पर महिलाओं ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सात साल तीन महीने तीन दिन बाद निर्भया मां को आखिरकार न्याय मिल ही गया। समाजसेवी हेमा अग्रवाल ने कहा है कि देर से ही सही लेकिन न्याय हुआ। इससे जरूर इस तरह के अपराधों से जुड़े लोगों के हौंसले कुछ हद तक पस्त होंगे। 


नारी शक्ति दल की संरक्षक हेमा अग्रवाल का कहना है कि दरिंदे बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा जरूरी है। उनका कहन है कि मैं मानती हूं इससे रेप की घटनाएं रुकने वाली नहीं है। हैदराबाद एनकाउंटर भी हुआ, बावजूद तब से अब तक बलात्कार नहीं रुके हैं। उन्होंने कहा है कि इसका स्पष्ट कारण है मानव मूल्यों में निरंतर गिरावट, संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, मानसिक विकृतियाँ, फूहड़ गंदे नाचगाने वाले कार्यक्रमों का  आयोजन, मोबाइल आदि अनेक कारण हैं जिनसे निर्भयाकांड जैसे घृणित अपराध घटित होते हैं। भविष्य में निर्भयाकाण्ड की व अन्य अपराधों की पुनरावृत्ति से बचने के लिये जरूरी है कि परिवार द्वारा माँ बाप का बच्चों पर अटेंशन जैसे बच्चों के साथ क्वालिटी समय बिताएं। 12वीं तक के बच्चों को एंड्रॉयड मोबाइल न दें, उन्हें सही गलत बताकर अच्छे संस्कार सिखाएं। समाज द्वारा इस तरह के बलात्कारियों का बहिष्कार किया जाए, अपने आसपास फूहड़ फिल्में व अश्लील आयोजन न होने दिया जाए। उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा हर स्कूल में एक पीरियड नैतिकता का सुनिश्चित हो। इसी तरह समय समय पर जागरूकता शिविर, बच्चियों के लिये आत्मरक्षा शिविर आदि उपायों व सावधानियों द्वारा भी अपराधों को नियंत्रित किया जा सकता है। भय के लिये सजा जरूरी है पर अपराधों के विरुद्ध युद्ध संस्कारों द्वारा ही जीता जा सकता है सजाओं द्वारा नहीं।