नई दिल्ली, मध्यप्रदेश में गहराते सियासी घमासान के बीच मंगलवार को पूरे देश की नजर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी रही, जहां भाजपा की याचिका पर सुनवाई हुई। शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा विधायकों की ओर से मुकुल रोहतगी पेश हुए। हालांकि यहां भी कांग्रेस ने ऐसा दांव चला कि मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट की भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया। दरअसल, कांग्रेस की ओर से कोई वकील मौजूद नहीं नहीं रहा। इस कारण सुप्रीम कोर्ट को नोटिस जारी करते हुए अगले दिन सुबह 10.30 बजे का समय तय करना पड़ा। जानिए सुप्रीम कोर्ट में क्या कुछ हुआ -
भाजपा और उसके वकील जस्टिस चंद्रचूड़ की अदालत में समय पर पहुंच गए, लेकिन कांग्रेस की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल या कोई और भी नहीं पहुंचा। सुनवाई शुरू होते ही मुकुल रोहतगी ने भाजपा का पक्ष रखा, लेकिन दूसरे पक्ष की ओर दलील देने के लिए कोई नहीं था।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि क्यों ने अगले दिन 10.30 बजे का समय दिया जाए। इस पर मुकुल रोहतगी ने आपत्ति ली और कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है क्योंकि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में है। जजों ने उनकी बात सुनी और 24 घंटे बाद सुनवाई का आदेश जारी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मध्यप्रदेश विधानसभा स्पीकर और राजभवन के सचिवालय को भी नोटिस जारी किया गया। स्पीकर से पूछा गया है कि राज्यपाल के आदेश होने के बाद भी आपने फ्लोर टेस्ट न करवाते हुए विधानसभा की कार्रवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित क्यों कर दी।
इसी दौरान बेंगलुरू में बैठे कांग्रेस के 22 बागी विधायकों की याचिका पर भी सुनवाई हुई। इनकी याचिका में कगा गया था कि यदि 6 मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार किए जा सकते हैं, तो बाकी 16 के क्यों नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने डाक से तो नोटिस भेजा ही है, इसकी कॉपी ईमेल और whatsapp के जरिए भी भेजी गई है। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है। ताकि किसी कारण से डाक न पहुंच पाए तो ईमेल और whatsapp के जरिए नोटिस पहुंच जाए और उसका पालन हो सके।
फ्लोर टेस्ट: कांग्रेस की चाल में फंसी भाजपा, सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई